Rpsc 2nd Grade Social Science Syllabus in Hindi : द्वितीय श्रेणी शिक्षक सामाजिक विज्ञान का पाठ्यक्रम हिन्दी में

Rpsc 2nd Grade Social Science Syllabus in Hindi : राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) ने माध्यमिक शिक्षा विभाग में वरिष्ठ शिक्षकों की भर्ती के लिए बड़ी घोषणा कर दी है। इस भर्ती के तहत कुल 6500 पदों पर योग्य उम्मीदवारों की नियुक्ति की जाएगी। आयोग ने इस वैकेंसी का नोटिफिकेशन 17 जुलाई 2025 को जारी किया है। आवेदन प्रक्रिया पूरी तरह ऑनलाइन रहेगी और इच्छुक उम्मीदवार 19 अगस्त 2025 से लेकर 17 सितंबर 2025 तक आवेदन कर सकते हैं।

Rpsc 2nd Grade Social Science Syllabus in Hindi
Rpsc 2nd Grade Social Science Syllabus in Hindi

आयोग ने वरिष्ठ अध्यापक के साथ स्कूल व्याख्याता व पुलिस उप निरीक्षक भर्ती का विज्ञापन भी जारी किया गया। स्कूल व्याख्याता के 3225 पद जिसमे सर्वाधिक पद हिन्दी विषय के जबकि वरिष्ठ अध्यापक के 6500 पद मे से सर्वाधिक पद गणित विषय के है। तीनों भर्ती का ऑनलाइन आवेदन अगले माह से प्रारंभ होंगे।

Rpsc 2nd Grade Teacher Exam Pattern GK Paper

S. NO.SUBJECTNo of QuestionTotal Marks
1.राजस्थान का भौगोलिक , ऐतिहासिक , सांस्कृतिक और सामान्य ज्ञान4080 Marks
2.राजस्थान के संदर्भ में समसामयिकी1020 Marks
3.विश्व और भारत का सामान्य ज्ञान3060 Marks
4.शैक्षिक मनोविज्ञान2040 Marks
 TOTAL100200 Marks
1.सभी प्रश्नों के अंक समान है | नेगेटिव मार्किग एक तिहाई होगी  
2.वरिष्ठ अध्यापक पद के लिए प्रतियोगी परीक्षा के लिए प्रश्न पत्र 200 अंक का सामान्य ज्ञान का होगा  
3.प्रश्न पत्र की अवधि दो घंटे की होगी |  

Rpsc 2nd Grade Social Science Syllabus in Hindi

इतिहास : ( HISTORY ) 

1. सिंधु घाटी सभ्यता – इसकी प्रमुख विशेषताएं।

2. वैदिक युग – सामाजिक और धार्मिक जीवन।

3.बौद्ध और जैन धर्म – शिक्षाएं, बौद्ध धर्म के उत्थान और पतन के कारण।

4. मौर्य और गुप्त

5. भक्ति और सूफी प्रणाली।

6. मुगल काल – (1526-1707) – प्रशासनिक विशेषताएं और सांस्कृतिक उपलब्धियां।

7. शिवाजी की विरासत।

8. स्वतंत्रता आंदोलन – A. 1857 की पृष्ठभूमि। B. कांग्रेस का जन्म। C.  गांधी की भूमिका। D. भारत का विभाजन।

9. फ्रांसीसी क्रांति, अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम और रूसी क्रांति।

10. राष्ट्र संघ और यू.एन.

11. विश्व शांति में भारत की भूमिका।

भूगोल:- ( GEOGRAPHY )

1. पृथ्वी की गति और उनके प्रभाव, अक्षांश – देशांतर।

2. पृथ्वी का आंतरिक भाग। महाद्वीपों और महासागरों की उत्पत्ति, अचानक आंदोलन।

3.वायुमंडल – संघटन, सूर्यातप, दाब पेटियां, पवनें..

4. महासागरीय धाराएं और ज्वार।

5 भारत – भौतिक विशेषताएं, जलवायु, मिट्टी, प्राकृतिक वनस्पति, जल निकासी, कृषि, उद्योग और जनसंख्या।

6. राजस्थान – भौतिक विशेषताएं, जलवायु, मिट्टी, प्राकृतिक वनस्पति, जल निकासी, कृषि, खनिज, उद्योग और जनसंख्या।

अर्थशास्त्र : – ( ECONOMIC )

1. राष्ट्रीय आय की अवधारणाएं।

2. बुनियादी अवधारणाएं मांग और उपभोक्ता

3. धन की परिभाषा, उसके कार्य। वाणिज्यिक बैंकों और सेंट्रल बैंक के कार्य।

4. भारत के – और रुझान। वैश्वीकरण की अवधारणा, निजीकरण उदारीकरण।

5.भारत में आर्थिक योजना। भारत में गरीबी और बेरोजगारी।

राजनीति विज्ञान: – ( POLITICAL SCIENCE )

1. राजनीति विज्ञान और राजनीतिक सिद्धांत – पारंपरिक और आधुनिक परिप्रेक्ष्य, शक्ति, वैधता, संप्रभुता।

2.भारतीय संविधान – मुख्य विशेषताएं, संघवाद, मौलिक अधिकार, कर्तव्य, निर्देशक सिद्धांत, संशोधन प्रक्रिया, संघ और राज्य सरकार की विधायिका, न्यायपालिका, कार्यपालिका।

3. स्थानीय स्वशासन, पड़ोसी राज्यों के साथ भारत के संबंध।

4. भारतीय लोकतंत्र की चुनौतियां, भारतीय विदेश नीति।

5. हालिया रुझान– वैश्वीकरण, वंचित समूहों और वर्ग का सशक्तिकरण।

समाज शास्त्र :

1. अर्थ, प्रकृति और समाजशास्त्र का परिप्रेक्ष्य।

2. मूल अवधारणाएँ – समाज, सामाजिक समूह, स्थिति और भूमिका, सामाजिक परिवर्तन।

3.जाति और वर्ग – अर्थ, विशेषताएं, जाति और वर्ग में परिवर्तन।

4. वर्तमान सामाजिक समस्याएं – जातिवाद सांप्रदायिकता, गरीबी, भ्रष्टाचार, एड्स।

5. वर्ण, आश्रम, धर्म, पुरुषार्थ, विवाह और परिवार की अवधारणा।

लोक प्रशासन : –

1. एक विषय के रूप में लोक प्रशासन का अर्थ, कार्यक्षेत्र, प्रकृति और विकास।

2. संगठन के सिद्धांत।

3. प्रशासनिक व्यवहार – निर्णय लेना, नैतिक, प्रेरणा।

4. भारतीय प्रशासन में मुद्दे – संबंध, राजनीतिक और स्थायी कार्यकारी, जरनैलिस्ट और विशेषज्ञ, प्रशासन में लोगों की भागीदारी के बीच।

5. नागरिकों की शिकायतों का निवारण – लोकपाल, लोकायुक्त।

दर्शन शास्त्र  : –

1. वैदिक और उपनिषद दर्शन – मूल अवधारणाएं।

2. सुकराती विधि, कार्तीय विधि।

3. ग्रीक नैतिकता, सुखवाद, उपयोगितावाद, कांटियन नैतिकता, इच्छा की स्वतंत्रता, सजा के सिद्धांत।

4. वर्णाश्रम धर्म, पुरुषार्थ, गीता का निष्काम कर्म, जैन धर्म की नैतिकता, बौद्ध धर्म और गांधीवादी नैतिकता।

शिक्षण विधियाँ :

1. सामाजिक अध्ययन की प्रकृति, क्षेत्र और अवधारणा। विभिन्न स्तरों पर विशेष अध्ययन पढ़ाने के उद्देश्य और उद्देश्य।

2. अन्य स्कूली विषयों के साथ सामाजिक अध्ययन का संबंध।

3. सामाजिक अध्ययन शिक्षण के तरीके – परियोजना, समस्या-समाधान, सामाजिक पाठ।

4. अभिनव अभ्यास – भूमिका निभाना, ब्रेन स्टॉर्मिंग फील्ड ट्रिप।

5. निर्देशात्मक सहायता प्रणाली-सामाजिक अध्ययन में शिक्षण सहायता, सामाजिक अध्ययन शिक्षण में प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और कंप्यूटर का उपयोग।

6. सामाजिक अध्ययन के एक शिक्षक के गुण, भूमिका और व्यावसायिक विकास।

7. पाठ्यचर्या – संकल्पना और उद्देश्य, राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा 2005।

8. शिक्षण की योजना – वार्षिक, इकाई और दैनिक पाठ योजना।

9. मूल्यांकन के उपकरण और तकनीक, विभिन्न प्रकार के प्रश्न, ब्लू प्रिंट और उपलब्धि परीक्षण की तैयारी।

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